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CBC Report
Normal Range
Erythrocyte (RBC ) Count - 4.2 - 5.4 mill/cu.mm
Hemoglobin (Hb) 12.0 – 16 gm/dl
PCV(Packed Cell Volume) 37-47 %
MCV (Mean Corpuscular Volume) 82-101 fl
MCH(Mean corpuscular Hb ) 27- 34 pg
MCHC(Mean Corpuscular 31.5 -36 g/dl
Hb Concentration)
RDW (Red Cell distribution Width) 11.5 -14.0 %
Leucocytes
Total Leucocytes Count (WBC) 4300-10300 cells/cu.mm
Absolute Neutrophils Count 2000-7000/c.mm
Absolute Lymphocyte Count 1000-3000/c.mm
Absolute monocyte Count 200-1000/c.mm
Absolute Eosinophils Count 20-500/c.mm
Neutrophils 40-80%
Lymphocyte 20-40%
Monocytes 2.0-10%
Eosionophils 1-6 %
Platelet
Platelet Count 1,50000-4,50000/µl
Mpv (Mean Platelet Volume) 7.8-11 fl
Pct (Platelet Haematocrit ) 0.2-0.5%
Pdw (platelet Distribution width ) 9-17%
CBC Report Analysis
RBC Normal Range :- 4.5 -5.5 mil/cu.mm
RBC के बढ जाने को Erythrocytosis कहते है।
RBC के कम हो जाने को Anemia कहते है ।
HB Normal Range male :- 14-18 gm/dl
HB Normal Range Female :- 12-16 g/dl
HB के बढ़ जाने को Polycythemia कहते है ।
HB के कमी हो जाने को Anemia कहते है।
PCV (Packed Cell Volume) Normal Range In Male :- 40-54%
PCV (Packed Cell Volume) Normal Range In Female :- 38-47%
PCV की सहायता से यह पता लगाया जाता है कि संपूर्ण रक्त में RBC का कितना परशेंट भाग उपस्थित है ।
PCV के बढ जाने को Polycythemia कहते है ।इसे Dehydration भी कहते है।
PCV के कम हो जाने को Anemia कहते है ।
MCV (Mean Corpuscular Volume) Normal Range :- 80-96 FL(Femto Liter )
MCV की सहायता से यह पता लगाया जाता है कि RBC का आयतन या आकार कितना है ।
MCV के बढ जाने को Macrocyte कहते है ।
MCV के कम हो जाने को Microcyte कहते है।
MCH(Mean corpuscular Hb ) Normal Range :- 27-34 pg(Picogram )
MCH की सहायता से यह पता लगाया जाता है कि हर एक RBC के ऊपर कितना % हीमोग्लोविन उपस्थित है ।
MCH की मात्रा बढ जाने पर RBC का आकार भी बढ जाता है ।
MCH के बढने को Macrocyte कहते है।
MCH के कम होने को Microcyte एनीमिया कहते है ।
RDW (Red Cell distribution Width) Normal Range :- 11.5 -14.0%
RDW की सहायता से यह पता लगाया जाता है कि RBC के आकार और संख्या में कितना परिवर्तन हुआ ।
RDW के बढ जाने पर RBC के आकार में और संख्या में बहुत परिवर्तन आता है ।
White Blood Cell
WBC Range :- 4.5 -11 Thousand
WBC की सहायता से हम यह पता करते है कि शरीर में किस मात्रा में WBC उपस्थित है ।
यदि WBC की मात्रा कम या ज्यादा हो तो इससे यह पता कर सकते है कि शरीर में कौन सा संक्रमण हूआ है ।
WBC के बढ़ जाने को Leucocytosis कहते है।
WBC के कम हो जाने को Leucocytopenia कहते है।
Neutrophils
Normal Range :- 2000- 7000/c.mm
Neutrophils हमारे शरीर में सबसे ज्यादा मात्रा में पायी जाती है ।
शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण होने पर Neutrophils की संख्या बढ़ जाती है।
Neutrophils के बढ़ जाने को Neutrophilila कहते है ।
Neutrophil के कम हो जाने को Neutropenia कहते है ।
Lymphocyte
Normal Range Of Lymphocyte :- 1000-3000/c.mm
जब शरीर में किसी भी प्रकार का Inflammationहोने पर Lymphocyte की संख्या बढ़ जाती है ।
Lymphocyte के बढ़ जाने को Lymphocytosis कहते है ।
Lymphocyte के कम हो जाने को Lymphocytopenia कहा जाता है ।
Monocyte
Normal Range of Monocyte :- 200-1000/c.mm
जब शरीर में Autoimmune disease होती है उस अवस्था में Monocyte की मात्रा बढ़ जाती है ।
Monocyte के बढ़ जाने को Monocytosis कहा जाता है ।
Monocyte के कम हो जाने को Monocytopenia कहते है।
Eosinophils
Normal Range of Eosinophils:- 20-500/c.mm
जब शरीर में Allergyया Asthama होता है तब Eosinophils बढ़ जाती है ।
Eosinophils के बढ जाने को Eosinophilia कहा जाता है ।
Eosinophils के कम हो जाने को Eosinopenia कहते है।
Platelets
Normal Platelet Count – 1,50000 -4,50000/µl
Platelets हमारे शरीर में रक्त का थक्का बनाने में मदद करते है । अगर हमारे शरीर में प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है तो खून पतला हो जाता है जिससे ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है।प्लेटलेट बोन मैरो में बनते है ।
Platelets के शरीर में सामान्य से अधिक बढ़ जाने को Thrombocytosisकहते है।
Platelets के कम हो जाने को Thrombocytopenia कहते है।
Mpv (Mean Platelet Volume)
Normal : - 7.8-11 fl
Mpv (Mean Platelet Volume) के अंदर हमें प्लेटलेट के साइज का कम या ज्यादा होना पता चलता है ।
Mpv के बढ जाने को Thrombocytopenia कहते है।
Mpv के कम हो जाने को Aplastic Anemia कहते है।
Pct (Platelet Haematocrit )
Normal Range :- 0.2-0.5 %
Haematocrit से हमे पता चलता है कि खून में लाल रक्त कणिकाओं की मात्रा किस परसेंटेज में मौजूद है ।
Pct के बढ जाने से शरीर में खून के थक्के ज्यादा बनने लगते है।
Pct के कम हो जाने पर हमें यह पता चलता है कि शरीर में लाल रक्त कणिकाएं कम है। ऐसी स्थिती को एनीमिया कहते है।
Pdw (platelet Distribution width )
Normal Range – 9-17%
Pdw (platelet Distribution width ) से हमें प्लेटलेट के साइज के बारे में पता चलता है ।
जब प्लेटलेट का साइज बढ़ता है तो यह शरीर में किसी वेस्कुलर डिजीज या थायराइड मेलिग्लनेंसी को बताता है। कुछ तरह के कैंसर में भी इनका साइज बढ़ जाता है।
जब प्लेटलेच का साइज कम होता है तो यह हमें बताता है शरीर में किसी तरह का गंभीर इन्फेंक्शन होने पर जैसे – एड़्स मीजल्स ,हेपाटाइटिस ,कुछ तरह की दवाइयों से भी इसका साइज कम हो जाता है । जैसे – एस्पिरिन , एंटीबायोटिक ,एच-2 बीटी ब्लाकर ,डीइयूरेटिक इत्यादि ।
LFT[Liver Function Test]
Total Bilirubin – 1.2 mg/dl
Direct Bilirubin – 0.2 mg/dl
Indirect Bilirubin- 1.0 mg/dl [1.2-0.2 = 1.0 mg/dl]
Protein :- Albumin
Globulin
Enzyme :- AST /SGOT
ALT/SGPT
GGT
ALP
Bilirubin :-
Total Bilirubin – 1.2 mg/dl
Direct Bilirubin – 0.2 mg/dl
Indirect Bilirubin- 1.0 mg/dl [1.2-0.2 = 1.0 mg/dl]
RBCके 120 दिन पूरे होने पर यह टूटने के बाद Bilirubin बनता है । यह एक वर्णक ( पिंग्मेंट) है । जो यूरिन के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। सर्वप्रथम जब RBC का जीवनकाल यानि 120 दिन हो जाते है तब RBC Spleen मे जाकर टूटती है ।RBC के अंदर हीमोग्लोबिन होता है । हीमोग्लोबिन दो चीजों से मिलकर बना होता है । जो कि Heme Or Globin Protein होता है ।ग्लोबिन प्रोटीन आगे जाकर अमीनो एसिड में जाकर बदल जाता है । अब बचा Heme जिसमें दो कम्पोनेंट रहते है । आयरन और हीम आक्सीजनेज । अब यह प्रोसेस आगे बढ़ती है तब हीम ऑक्सीजनेज से Biliverdin बनता है । बिलीवर्डिन ,Biliverdin Reductase Enzyme की उपस्थिती में Uncongugated (विसंयुग्मित) Bilirubin बनाता है । फिर यह Albumin Protein के साथ Glucoronic Acid की उपस्थिती में,लीवर के अंदर संयुग्मित (Congugated) Bilirubin बनाता है। फिर यह बिलीरूबीन लीवर से निकलकर छोटी आंत के पहले हिस्से जिसे हम डियोडिनम कहते है उसमें पूहुंचता है । फिर वह बिलीरुबीन आंतो में पुहुंच कर Urobilinogen Or Stercobilinogen Chemical जो कि आंतो के बैक्टीरिया के द्वारा बनते है इनकी उपस्थिती में Stercobilinogen ,Stercobilin में बदल जाता है । जो कि हमारे मल को पीला रंग देने के लिए उत्तरदायी होता है और यह मल के साथ बाहर निकल जाता है । 10-15% यूरोबिलीन ब्लड में दोबारा सोख लिया जाता है । और यह लीवर में पुहुंच जाता है ENTEROHEPATIC CIRCULATION के द्वारा । बाकि का यूरोबिलीन किडनी के द्वारा यूरीन के माध्यम से बाहर निकल जाता है जिसके कारण हम देखते है कि यूरीन का रंग हल्का पीला होता है यह यूरोबिलीन कारण होता है ।
Congugated /Direct Bilirubin – Bilirubin Congugated With Glucoronic Acid by Enzyme Glucoronyltransferase ,Making it Water Soluble .
Unconguagted/ Indirect Bilirubin :- Without Glucoronidation . Not Water Soluble .
Calculation :-
Indirect Bilirubin = Total Bilirubin – Direct Bilirubin
बिलीरूबीन के बढ़ जाने पर उसे Hyperbilirubinemia कहते है।
यदि बिलीरूबीन का लेवल 2.1 mg/dl से ज्यादा बढ़ जाये और वह बहुत ज्यादा मात्रा में यूरिन से निकलने लगे तब इस अवस्था को हायपरबिलीरूबिनीमिया (Hyperbilirubinemia) कहते है। और बिलीरूबीन के ज्यादा बढ जाने से पीलिया बीमारी होती है ।
AST [ Aspartate Aminotransperase] /SGOT [ Serum Glutamic Oxaloacetic Transaminase ]
Normal Value of SGOT/AST - 15-46 u/l
यह एक विशेष प्रकार का एन्जाइम होता है जो कि लीवर की हेपेटोसाइट कोशिकाओ के द्वारा बनता है । यदि किसी कारण से लीवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है या टूटने है तब लीवर की कोशिकाएं इस एन्जाइम को ब्लड में छोड़ देती है जिससे लीवर डिजीज के पेशेंट के अंदर हमें ब्लड में यह एन्जाइम बढा हुआ मिलता है।
यदि SGOT/AST का लेवल 300-400 u/l तक बढ़ जाता है तो यह माना जाता है कि मरीज को हेपाटिक ज्वांडिस है ।
SGOT/AST शरीर के और भी दूसरे अंगो में भी पाया जाताहै । जैसे की लीवर, ओवरी,हार्ट, पेनक्रियास ,स्केलटल मस्ल्स,अन्य मसल्स इत्यादि ।
यदि SGOT/AST का लेवल 1000 u/l हो जाये तो यह माना जाता है कि मरीज का लीवर डैमेज हुआ है या वायरल हेपाटाइटिस है ।
ALT [ Alaline Transaminase]/SGPT [Serum Glutamic Pyruvic Transaminase]
Normal Value – 13-69 u/l
यह एन्जाइम भी लीवर की , लीवर कोशिकाओ के द्वारा बनाया जाता है । और यह एन्जाइम ज्यादातर लीवर में ही बनता है लेकिन लीवर के अलावा हार्ट और मसल्स कोशिकोओं में भी पाया जाता है ।
ALT की मात्रा AST के बढ़ जाने पर बढ जाती है । अर्थात इसकी मात्रा ज्यादा हो जाने पर वायरल हेपाटाइटिस या पीलिया हो जाता है । लीवर डिजीज में इसका असामान्य रूप से मात्रा बढ़ जाती है ।
GGT [Gamma Glutamyltransferase Enzyme]
Normal Value In Male –: 9-48 Unite Per Liter (u/l)
Normal Value In Female -: 9-36 U/L
यह एन्जाइम लीवर में पाया जाता है । ये लीवर फंक्शन को नारमल रखने में मदद करता है । जब ये एंजाइम लीवर में बनता है और गॉल ब्लेडर में स्टोर रहता है । जब कामन बाइल डक्ट में कही आब्सट्रक्शन होता है तब इस एन्जाइम की वैल्यू फ्लक्चुयेट हो सकती है ।
GGT [Gamma Glutamyltransferase Enzyme]की वेल्यू जब असामान्य हो तब –
Abnormal Value Indicate :-
Liver Damage
Fatty Liver
Hepatitis
Liver Cirrhosis /Fibrosis
Alcohal Abuse
Certain Medication and Its Side effect
ALP[Alkaline Phosphate]
नारमल रैंज – 30-150 U/L
Alkaline Phosphate आइसोएन्जाइम का एक ग्रुप है,जो कि कोशिका मेंम्ब्रेन की ऑउटर लेयर पर मौजूद रहता है। Extracellular Space में मौजूद Organic Phosphate esters को Hydrolysis के लिए उत्प्रेरित( catalyze) करने में मदद करता है।जो शरीर के कई हिस्सो में पाया जाता है । जैसे कि लीवर ,हड्डी , किडनी ,और पाचन तंत्र में । पर ज्यादा मात्रा में यह लीवर में पाया जाता है। शरीर में करीब 80% एल्कालाइन फास्फेट लीबर और हड्डी से निकलता है बाकि कुछ मात्रा में इंटेस्टाइन से निकलता है। और कुछ एल्कालाइन फास्फेट शरीर के कई टिस्स्यू में भी पाया जाता है।
यह osteoblast की गतिविधि में योगदान देता है। गर्भवती महिलाओं में तीसरी तिमाही के अंत में महिलाओं के गर्भ की वृध्दि में योगदान करता है।
एल्कालाइन फास्फेट जब हड्डियो का विकास हो रहा होता है जैसे जब बच्चो का विकास हो रहा होता है तब भी यह शरीर में सामान्य से अधिक रहता है।
शरीर में जब एल्कालाइन फॉस्फेट बढता है तब क्या-क्या बीमारिया हो सकती है –
लीवर और हड्डी रोग
हेपाटाइटिस ,लीवर सिरोसिस
गॉल स्टोन , कॉमन बाइल डक्ट में रुकावट
ऑस्टियोमलेशिया , हायपरथायरायडिज्म
कैंसर ,पैजेट डिजीज
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