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डॉ लाजपतराय मेहरा
न्युरोथैरेपी के जनक डॉ. लाजपतराय मेहरा जी ने किया था । उनका जन्म 23/08/1932 को अमृतसर में हुआ था । डॉ. लाजपतराय मेहरा जी ने आज से कई वर्ष पूर्व न्युरोथैरेपी की नीव मुंबई में डाली । डॉ. लाजपतराय मेहरा जी ने सबसे पहले 1947 में नाभी ठीक करना शुरू किया जिसकी शुरूआत उन्होने अपने घर पर ही उपचार से की । धीरे-धीरे कमर दर्द ,गर्दन दर्द ,सन्धिवात और अलग –अलग बीमारियो के मरीज आने लगे इस तरह फिर डॉ. लाजपतराय मेहरा जी ने जिन्हे हम प्यार से गुरू जी कहते है उन्होने एक सेंटर खोला और इस थैरेपी को सन 1976 में “न्युरोथैरेपी ” नाम दिया । डॉ. लाजपतराय मेहरा जी की मृत्यु 18-10-2017 में डॉ. लाजपतराय मेहरा न्युरोथैरेपी आश्रम सूर्यमाल (महाराष्ट्र) में हुई । इस आश्रम की स्थापना 1996 में सूर्यमाल जो कि ठाडे जिला के तालुका मोखाडा में है रविवारीय चिकित्सा शिविर के रूप में आदिवासियो के इलाज हेतु की इस शिविर में मुफ्त इलाज होता है । यहाँ पर 1999 मे डॉ. लाजपतराय मेहरा न्युरोथैरेपी अकेडमी की शुरूआत हुई और यहाँ पर 12 वी पास छात्र न्युरोथैरेपी का प्रशिक्षण प्राप्त करने पूरे देश से आने लगे और प्रशिक्षण के बाद वह अपने –अपने क्षेत्र में जाकर क्लीनिक या सेंटर संचालित करते है ।
न्युरोथैरेपी एक भारतीय उपचार पद्धती है ।हमारे शरीर के अंदर ही उसे ठीक करने के लिए हर प्रकार की केमीकल बनाने की क्षमता होती है ,पर किसी कारणवश जैसे आहार-विहार पर नियंत्रण ना हो ,गलत तरीके से उठना बैठना ,दूषित वातावरण ,मानसिक तनाव ,अपने सामर्थ्य से अधिक शारिरिक या मानसिक कार्य,न्युट्रीशन की कमी ,डर या क्रोध इत्यादि से शरीर के अंगो एवं ग्रंथियो के कार्य पर असर पड़ता है जिससे उनका कार्य धीमा हो जाता है या बिगड़ जाता है । इससे उन ग्रंथियो से बनने वाले केमीकल या हार्मोन्स मे कमी आ जाती है ।इसके कारण शरीर का एसिड –अल्कली इत्यादि का बैलेंस बिगड जाता है और एकाध चीज की कमी से बीमारी आ जाती है । तो न्युरोथैरेपी में हम शरीर के विभिन्न अंगो पर खास प्रकार के दबाव द्वारा उन ग्रंथियो को उकसा कर उनके कार्य को सुचारू रूप से चलाते है ।“न्युरोथैरेपी में किसी भी प्रकार की दवाई या साधन का प्रयोग नही होता है ”। यह उपचार देते समय थेरेपिस्ट दोनो तरफ कुर्सियो का सहारा लेकर अपने पैरो से मरीज के हाथ ,पैर ,जाँघ इत्यादि पर दबाव देते है । मरीज को किसी भी प्रकार की तकलीफ नही होती है । यह उपचार एक दिन के बच्चे से लेकर सौ साल तक के उमर का हर एक व्यक्ति करवा सकता है ।बिल्कुल छोटे बच्चे को एवं बुजुर्ग तथा कमजोर व्यक्तियो को हाथ से एवं बडी उम्र के व्यक्तियो को पैरो से उपचार दिया जाता है ।
मेरा नाम हरिओम जाटव है ,में एक न्युरोथैरेपिस्ट हूं । मैने गुरू के साथ रहकर उनसे 2011 -2013 तक उनके आश्रम रहकर न्युरोथैरेपी का ज्ञान प्राप्त किया । और पिछले 9-10 सालो से इस चिकित्सा पध्दति का अभ्यास कर रहा हुं। इन वर्षो के अनुभवो के आधार पर मुझे लगा कि यह चिकित्सा पद्धति वर्तमान जीवन के परिपेक्ष्य यह एक आशा किरण में रूप में लोगो को स्वस्थ प्रदान कर उन्हे नया जीवन प्रदान कर रही है । और बिना दवाई के स्वस्थ हो जाते है वह भी बिना किसी साइडइफैक्ट के ।
वर्तमान में ,मै हैदराबाद में लोगो को न्युरोथैरेपी चिकित्सा प्रदान कर रहा हूं।
यह बेवसाइट न्युरोथैरेपी (डॉ. लाजपतराय मेहरा न्युरोथैरेपी ) के प्रचार -प्रसार हेतु मेरे द्वारा निर्मित की गई है । समय पर में मेरे ब्लॉग के माध्यम से नई जानकारी लाता रहूंगा । बीमारियों और उनके न्युरोथैरेपी इलाज की जानकारी भी शेयर करता रहूंगा ।
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